वह शब्द ही बुनता था
शब्द सिलता था
शब्दों के ही पैबंद जोड़ता था
पर जब शब्द बाजीगरी करने वालो के बीच घिरा तो
शब्द असहाय हो गए
शब्दों के साये उसका पीछा करते रहे
शब्द दैत्याकार हो गए
सोने की उस हिरन की तरह
जिस मृगतृष्णा से राम भी नहीं बच सके
सीताओं के अपहरण ,यूँ ही नहीं हुआ करते
हर अपहरण के पीछे एक तृष्णा जरुर होती है .
Saturday, January 9, 2010
Friday, January 1, 2010
शब्द- नाद
शब्द ही हिटलर है
शब्द ही गजनबी है
शब्द ही नानक और ईशा होताहै
शब्द ही बाबर है
शब्द ही अकबर होता है
शब्द ही दुःख है और
शब्द ही सुख और अमन-चमन होता है
शब्द ही माँ - बहन -पत्नी है
शब्द ही वेश्या होता है
शब्द ही हिन्दू है ,मुस्लिमहै
शब्द ही दंगा होता है
शब्द ही बाबरी मस्जिद है
रामजन्मभूमि और शब्द ही
दिन-अ- इलाही होता है
शब्द ही साम्प्रदायिकता है और बर्बरता है
शब्द ही सर्वधर्म समभाव होता है
शब्द ही ब्रम्ह है
शब्द ही नाद होता है .
शब्द ही गजनबी है
शब्द ही नानक और ईशा होताहै
शब्द ही बाबर है
शब्द ही अकबर होता है
शब्द ही दुःख है और
शब्द ही सुख और अमन-चमन होता है
शब्द ही माँ - बहन -पत्नी है
शब्द ही वेश्या होता है
शब्द ही हिन्दू है ,मुस्लिमहै
शब्द ही दंगा होता है
शब्द ही बाबरी मस्जिद है
रामजन्मभूमि और शब्द ही
दिन-अ- इलाही होता है
शब्द ही साम्प्रदायिकता है और बर्बरता है
शब्द ही सर्वधर्म समभाव होता है
शब्द ही ब्रम्ह है
शब्द ही नाद होता है .
Saturday, December 26, 2009
ठहर गयी ज़िन्दगी
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